सर आइजक न्यूटन

जब भी हमारे हाथ से कोई चीज छूटती है, तो वह सदा नीचे की ओर गिरती है। हम किसी चीज को ऊपर की ओर उछालते हैं तो वह नीचे की ओर आकर भूमि पर गिर जाती है। जानते हो क्यों? पृथ्वी प्रत्येक चीज को अपनी ओर आकर्षित करती है। पृथ्वी द्वारा आकर्षित करने वाला यह एक प्रकार का बल होता है। इस बल को गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं। 

यह तथ्य हमने उपरोक्त पंक्तियों में जितनी आसानी से कहा, इसे खोजने में उसके विपरीत ही परिश्रम करना पड़ा था। इस तथ्य का पता आइजक न्यूटन ने लगाया था।

न्यूटन का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। उसके पैदा होने से पूर्व ही उसके पिता की मृत्यु हो गई थी। परिवार के नाम पर केवल वह और उसकी माता थी और आजीविका के लिए थोड़ी-सी जमीन। माँ दिन भर खेतों में काम करती तब कहीं जाकर उनका पेट भर पाता था। न्यूटन बचपन से ही सीधा-सादा बालक था। वह शर्मीला था, कम बोलता था व शोर से घबराता था। खेल-कूद में उसे अधिक रुचि न थी। हथौड़ी लेकर ठुक-ठुक करना, मिट्टी के घर बनाना तथा उल्टी-सीधी चीजें बनाना उसे भाता था।

न्यूटन की माता उसके भविष्य के प्रति सदैव चिंतित रहती थी। इसी कारण उसने एक पादरी से पुनर्विवाह कर लिया था। इस प्रकार पादरी पिता ने न्यूटन की शिक्षा तथा अन्य पारिवारिक व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी ग्रहण की। छह साल की अवस्था में उसने स्कूल जाना प्रारम्भ किया। वह पढ़ाई-लिखाई में कमजोर था, इतिहास उसे याद नहीं होता था। लेकिन एक घटना ने सब कुछ बदल दिया। कक्षा में पहले नंबर पर आने वाला छात्र उससे उलझ गया। वह पढ़ाई में लग गया और सदैव प्रथम आने लगा।

दस साल की आयु में उसके इस पिता का भी देहांत हो गया। उस पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। माँ फिर से खेतों में काम करने लगी। उसे भी माँ के साथ जाना पड़ता था। उसे पढ़ाई छोड़नी पड़ी, पर दिल की लगन फिर भी न छूटी। सप्ताह में एक बार उसे घर के काम से शहर जाना पड़ता था। वह बहाने से अपनी माँ की सहेली के घर पहुँच जाता तथा उसकी अलमारी में पुस्तकें निकालकर पढ़ता था।

न्यूटन के मामा ने उसकी लगन देखी तो प्रभावित होकर उसकी पढ़ाई की जिम्मेदारी ले ली। उन्होंने न्यूटन से खेती बंद करवा दी। इस प्रकार वह घर पर ही पढ़ने लगा। एक वर्ष बाद वह पुनः स्कूल जाने लगा।

न्यूटन के मस्तिष्क में सदा अनसुलझे प्रश्न गूँजते रहते। उनका उत्तर पाने को वह सोचता रहता। यहीं से उसके नए-नए प्रयोगों की उत्पत्ति हुई। वह उन सब बातों के कारण खोजने में लग गया जो उसके समक्ष प्रकट हुईं। बारह वर्ष की आयु में न्यूटन ने हवाई चक्की बनाई। उसने एक घड़ी भी बनाई जो पानी से चलती थी। इस यंत्र में पानी एक बर्तन से दूसरे में गिरता था। इससे सुइयाँ घूमने लगती थीं। वह घड़ी बिल्कुल ठीक समय देती थी। एक दिन न्यूटन ने एक अद्भुत पतंग का निर्माण किया। कुछ कंडील बना उनमें उसने प्रकाश कर दिया और उन्हें पतंग से बाँधकर उड़ाया। इस प्रकार सारे शहर में न्यूटन की धूम मच गई।

इसी तरह के जोड़-तोड़ से न्यूटन के प्रयोग आरम्भ हुए। जिस काम में वह लग जाता, उसे पूरा करके ही छोड़ता था। उसकी बचपन की ये आदतें ही उसके काम आई। इनके बल पर ही न्यूटन ने बड़ी-बड़ी खोजें कीं। उसने गणित की कई शाखाएँ निकालीं, विज्ञान की पेचीदा बातों को स्पष्ट किया और उन्हें गणित से सिद्ध किया।

न्यूटन ने प्रकाश की गति को नापा, नक्षत्रों की गति समझी तथा गणित की गुत्थियाँ सुलझाई। आज का विज्ञान उन्हीं की खोजों पर खड़ा है। विज्ञान के अधिकतर नियम न्यूटन के ही बनाए हुए हैं। जनकल्याण के लिए उन्होंने बहुत-सी दूसरी खोजें भी कीं।

न्यूटन को जाने बिना विज्ञान की बातें अधूरी रह जाती हैं। वे सही अर्थों में विज्ञान जगत के पिता हैं, ऐसा कहना अतिशयोक्ति न होगी।

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