वनराज का उचित न्याय

 


जंगल में वनराज की प्रजा प्रेमपूर्वक रहती थी, किंतु चिट्टू सियार की धूर्तता से हर कोई परिचित था । कोई भी पशु उससे कोई भी संबंध न रखना चाहता था । परंतु जरूरत का मारा कोई पशु फिर भी उसके पास आ ही जाता था ।

एक बार की  बात है, सुशीला बकरी ने अपने खेत में धान को फसल लगाई। उस वर्ष वर्षा बहुत कम हुई। वह सोचने लगी कि यदि पानी न मिला तो पानी का प्रबंध कैसे किया जाए? मुझे पानी कहाँ से मिलेगा ? सभी  जानवरों की फसलों को पानी की जरूरत तो है ही, परंतु मुझे फसल के लिए पानी कौन देगा?

ऐसे में सुशीला को चिट्टू सियार की याद आई। मन मारकर सुशीला बकरी चिट्टू सियार के खेत की और चल दी। वहाँ पहुँचकर उसने चिट्टू का अपनी पीड़ा बताई। फिर उससे विनती की कि कुछ महीनों के लिए अपना तालाब उसे भी दे दे जिससे उसकी धान की खेती को सूखे से बचाया जा सके। कुछ देर सोच-विचारकर चिट्टू सियार सुशीला बकरी से बोला, "काकी यदि तुम मुझे सौ रुपए दे दो तो एक महीने के लिए मैं अपना तालाब तुम्हे दे सकता हूँ।" सुशीला तैयार हो गई। उसने चिट्टू सियार को सौ रुपये दे दिए।

अगले दिन सुशीला बकरी बाल्टी लेकर तालाब पर पानी भरने आई । किन्तु सियार ने उसे तुरंत रोक दिया । बोला तुम इस तालाब का पानी नहीं ले जा सकती   

पानी क्यों नहीं ले जा सकती ? मैंने कल ही तो तुम्हे सौ रुपये दिए थे, सुशीला ने कहा

काकी तुमने तो इस तालाब के रूपए दिए थे, इसके पानी के नहीं। इस तालाब के पानी पर अभी मेरा अधिकार

है, सियार बोला अब तो बकरी बड़ी परेशान गई। रुपए भी गए और खेत भी सूखते जा रहे  है , सोचती हुई वह रोती गिडगिडाती वनराज सिंह के पास गयी ।

वनराज ने बकरी  की बातें बड़े ध्यान से सुनी  फिर चिट्टू सियार को बुलवाया। बनराज ने उससे पूछा, " तुमने बकरी को
तालाब कितने रुपए में बेचा
? " "सौ रुपये में महाराज, " सियार ने उत्तर दिया।

"फिर तुमने इस बकरी को पानी लेने से क्यों मना कर दिया? सिंह ने सियार से पूछा सियार बड़ी धूर्तता से अकड़कर बोला, “मैंने तो इसे केवल तालाब बेचा है,


पानी नहीं। " फिर तुमने उसके तालाब में बिना पूछे पानी क्यों रखा है। सिंह ने पूछा। अब सियार के पास कोई उत्तर न था। शेर बोला, "सियार, तू बड़ा दुष्ट है। अब से तू सारे जंगल में एक वर्ष तक बिना वेतन झाडू लगाया करेगा। तालाब का पानी सुशीला लेगी।सारे जंगल में चर्चा फैल गई। चिट्टू सियार को अपनी धूर्तता का दंड भुगतना पड़ा।



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